माघ पूर्णिमा, रविदास जयंती (कविता)24-Feb-2024
दिनांक- 24,0 2, 2024 दिवस- शनिवार विषय- माघ पूर्णिमा/ रविदास जयंती प्रतियोगिता से हटकर
रैदास ने जन्म लिया है, अब ना कोई नीच है। दुष्कर्म को करने वाला, नीच वही जो कीच है।
सज्जन की ना जाति है होती, होता बस है ज्ञान। वो मूरख जो जाति हैं पूछे, ना करते हैं मान।
हम सब ही ईश्वर के बंदे, मानव ही बस जात। मानवता को बस दिखलाएँ, तज दें जात-कुजात।
परमुखापेक्षी एक पाप है, ना कर इबको इंसान। सोच- समझकर यदि किया तो, ना क्षमा करें भगवान।
जो परवश हो करके जीता, ना कोई करता प्रीत। बर्ताव ऐसे हैं करते, मानो लिए हो जंग में जीत।
जाति- धर्म के क्षुद्र सोच का, रविदास किए हैं मर्दन। हम सब इनका हाथ बटाएंँ, अब फिर से ना हो सर्जन।
इनके उपदेशों को मानें, ज्ञान-भक्ति को उनके जानें। छोटा-बड़ा न कोई जग में, सत्कर्मों की महिमा बखानें।
इन जैसों का सद्ज्ञान ही, अध्यात्म की थाती रखा समेट। भारतवासी सब नतमस्तक, पाकार इतना अनुपम भेंट।
साधना शाही, वाराणसी
Mohammed urooj khan
26-Feb-2024 12:19 PM
👍👍👍
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Gunjan Kamal
25-Feb-2024 10:59 PM
👌👏🏻
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Varsha_Upadhyay
24-Feb-2024 02:01 PM
Nice
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